काम से लौटती स्त्रियाँ



जिस तरह हवाओं में 

लौटती है ख़ुशबू 

पेड़ों पर लौटती हैं चिड़ियाँ 

शाम को घरों को लौटती हैं 

काम पर गई स्त्रियाँ 


उदास बच्चों के लिए टॉफियाँ 

उदासीन पतियों के लिए 

सिगरेट के पैकिट ख़रीदतीं 

शाम को घरों को 

लौटती हैं काम पर गई स्त्रियाँ 


काम पर गई स्त्रियों के साथ 

घरों में लौटता है घरेलूपन 

चूल्हों में लौटती है आग 

दीयों में लौटती है रोशनी 

बच्चों में लौटती है हँसी 

पुरुषों में लौटता पौरुष 


आकाश अपनी जगह 

दिखाई देता है 

पृथ्वी घूमती है अपनी धुरी पर 

शाम को घरों को 

लौटती हैं काम पर गई स्त्रियाँ 

-गोविंद माथुर